मौजूदा वक्त में बहुत से लोग थायराइड की समस्या से परेशान हैं क्योंकि ये समस्या केवल उन्हें ही नहीं बल्कि उनकी पीढ़ी की भी परेशानी का कारण बन सकती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि थायराइड कोई बीमारी नहीं है।
मौजूदा वक्त में बहुत से लोग थायराइड की समस्या से परेशान हैं क्योंकि ये समस्या केवल उन्हें ही नहीं बल्कि उनकी पीढ़ी की भी परेशानी का कारण बन सकती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि थायराइड कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ग्रंथि है, जो हमारे गले में आगे की तरफ होती है। तितली के आकार की यह ग्रंथि हमारे शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। थायराइड की समस्या इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह शरीर के बहुत से अंगों को नुकसान पहुंचाती हैं। दरअसल थायराइड ग्रंथि भोजन को ऊर्जा में बदलने के साथ-साथ कई हार्मोन का भी निर्माण करने में मदद करती है। ये हार्मोंस हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान को सीधा प्रभावित करते हैं। इन हार्मोंस के असंतुलित होने पर शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है, जिसे थायराइड की समस्या कहते हैं।

थायराइड होने के बहुत से कारण हैं। शरीर में आयोडीन की कमी के कारण थायरइड ग्रंथि द्वारा थायराइड हार्मोन बनाना कम कर देना और ऑटोइम्यून डिजीज के कारण भी थायराइड हो सकता है। इतना ही नहीं थायराइड ग्रंथि में सूजन की वजह से भी थायराइड होता है। थायराइड की समस्या होने पर डॉक्टर द्वारा सलाह कर दी गई दवाईयां भी थायराइड को बढ़ा सकती हैं। अगर आप भी थायराइड की समस्या और दवाईयां खा-खाकर परेशान हो चुके हैं और प्राकृतिक तरीकों से इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो हम आपको ऐसी तीन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप ऐसा करने में सफल हो सकते हैं।
थायराइड की समस्या से छुटकारा पाने में मदद करेंगी ये तीन चीजें
एलोवेरा
एलोवेरा थायराइड ग्रंथि को डिटॉक्सीफाई करता है और शरीर की कोशिकाओं से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने का काम करता है। एलोवेरा के पौधे में 8 अलग-अलग प्रकार के एमिनो एसिड्स और 12 प्रकार के विटामिन होते हैं, जो थायराइड की समस्या को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। इसलिए सुबह उठकर सबसे पहले एलोवेरा का सेवन आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
अलसी
अलसी में पाया जाने वाला लिनोलेनिक एसिड शरीर की सूजन को कम कर देता है। इसके साथ ही यह अंसतुलित हार्मोन्स के बैलेंस को भी सही कर देता है। इन दोनों कारणों से यह पदार्थ थायराइड के लिए बेहतर माना जाता है। अलसी के लगातार सेवन से थायराइड में सुधार होता है। अलसी में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और विटामिन बी 6 थायराइड को सुधारने का काम भी करते हैं। अलसी का नियमित रूप से सेवन थायरॉइड ग्रंथि को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है, जिस कारण थायराइड ग्रंथि सामान्य होने लगती है। खाने से एक घंटे पहले अलसी का सेवन करने से बेहतर परिणाम सामने आते हैं।
मुलेठी
मुलेठी थायराइड ग्रंथि से हार्मोन्स के रिसाव को बढ़ाती है और शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को ठीक करती है। मुलेठी का नियमित सेवन थायराइड की समस्या को दूर करने में मदद करता है। हालांकि थायराइड ठीक होने के बाद भी आप मुलेठी का सेवन जारी रखें क्योंकि ऐसा करने से हमेशा हार्मोन का संतुलन बरकरार रहेगा। इतना ही नहीं मुलेठी आपके लिवर का भी ख्याल रखती है और पेट की जलन को भी शांत करती है।
किन कारणों से फैलता है चिकनगुनिया? जानें कैसे संभव है इस रोग से बचाव
चिकनगुनिया वायरस के जरिये फैलने वाली एक बीमारी है। ये वायरस एडीज मच्छर द्वारा फैलाया जाता है। चिकनगुनिया को कुछ लोग यलो फीवर (Yellow Fever) भी कहते हैं। आमतौर पर मच्छर बारिश के मौसम में दस्तक देते हैं और बीमारियों का कारण बनते हैं। मच्छरों से फैलने वाली अन्य बीमारियां डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू और जीका वायरस आदि हैं। इनमें से ज्यादातर बीमारियों में एक जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं, जबकि सभी बीमारियां अलग-अलग वायरसों के कारण होती हैं।
चिकनगुनिया एक खतरनाक बीमारी है। इलाज के बाद भी इसके लक्षण कई सालों तक मरीज को परेशान कर सकते हैं। इसलिए इस बीमारी से बचाव बहुत जरूरी है। आइए आपको बताते हैं चिकनगुनिया के फैलने का क्या कारण है और कैसे कर सकते हैं इस बीमारी से बचाव।
कैसे फैलता है चिकनगुनिया
चिकनगुनिया के वायरस को बुगी क्रीक वायरस भी कहा जाता है। यह संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है। मच्छर में मौजूद एल्फा वायरस इस बुखार के फैलने की सबसे बड़ी वजह होता है। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जो यह बात प्रामाणित करे कि यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैलती हो। यानी यह रोग छूने या साथ रहने से नहीं फैलता है, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से फैलता है।
एडिस मच्छर जब संक्रमित व्यक्ति को काटते हैं, तो उसके खून के माध्यम से ये वायरस मच्छर के शरीर और डंक में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो उसमें भी चिकनगुनिया के वायरस फैल जाते हैं। इस तरह ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।
चिकनगुनिया के लक्षण
- चिकनगुनिया होने पर व्यक्ति को ठंड लगकर तेज बुखार आता है।
- बुखार के साथ-साथ पूरे शरीर में दर्द होता है।
- सिर दर्द
- चक्कर आना
- दस्त होना और शरीर में पानी की कमी हो जाना
- उल्टी होना
- शरीर पर लाल चकत्ते हो जाना
मच्छरों से जरूरी है बचाव
चिकनगुनिया के वायरस को सीएचआईकेवी नाम दिया गया है। यह वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छर पहले एक को काटता है और उसके बाद स्वस्थ व्यक्ति को। इस तरह स्वस्थ व्यक्ति भी इस बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। मुख्य रूप से मच्छर वायरस के लिए एक वाहक का काम करता है। यह मच्छर आमतौर पर घरों और उसके आसपास के इलाकों में ही पनपता है और आमतौर पर मच्छर दिन के वक्त ही काटता है।
घरों और आसपास, ऑफिस और स्कूलों और उसके आसपास के इलाकों में जमा पानी में यह मच्छर पनपता है। इस मच्छर की खास बात यह है कि यह साफ पानी में पनपता है।
चिकनगुनिया से कैसे बचें?
चिकनगुनिया से कैसे बचें?
- घरों या अपने आसपास के इलाकों में पानी जमा न होने दें।
- घर और आसपास के इलाके में मच्छर भगाने वाले स्प्रे, फॉगिंग, इन्सेक्टिसाइस वगैरह मच्छर मारने वाली दवाओं का इस्तेमाल करें।
- घरों में कूलर को सप्ताह में एक बार जरूर साफ करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो आप उसमें सप्ताह में एक बार एक बड़ा चम्मच पेट्रोल का डाल सकते हैं।
- पूरी बाजू की शर्ट पहनें।
- छत पर रखे बेकार के टायर, गमलों और अन्य जगहों पर पानी जमा न होने दें।
No comments